By | September 18, 2024

पूरे देश में उस वक्त सनसनी फैल गई, जब पुणे के Ernst & Young में काम करने वाली अन्ना सेबेस्टियन (Anna Sebastian) की मौत की खबर सामने आई. और वजह थी, ऑफिस का एक्सट्र वर्कलॉड. ये मौत कॉर्पोरेट का खौफनाक चेहरा सामने लेकर आती है. जो घातक साबित हो रहा है.

अन्ना की मौत के बाद कंपनी ने दिया बयान

अन्ना की मौत के बाद उनकी मां का कहना है कि उसकी बेटी के अंतिम संस्कार में कंपनी से कोई भी नहीं आया. इसपर अब ईवाई ने एक स्टेटमेंट जारी किया है.

कंपनी का कहना है कि अन्ना उनकी पुणे में ऑडिट टीम का हिस्सा थीं. लेकिन उनके करियर पर इस दुखद घटना की वजह से पूर्णविराम लग गया. परिवार को जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई करना मुमकिन नहीं, लेकिन इस मुश्किल वक्त में हम उनकी हर संभव सहायता कर रहे हैं और करते रहेंगे. 
हम अपने कर्मचारियों की भलाई को सबसे ऊपर रखते हैं. हम फर्म्स के सभी दस हजार एम्प्लॉयीज को एक अच्छा माहौल दिलवाने पर काम करते रहेंगे. 

सामने आया चौंका देना वाला डाटा


कॉर्पोरेट में होने वाली परेशानियों पर बात करने वाले ग्लोबल थिंक टैंक यूकेजी वर्कफोर्स इंस्टीट्यूट ने मार्च 2024 में एक पब्लिस किया, जिसने सभी को हैरान कर दिया. इस डाटा के मुताबिक, भारत में काम कर रहे करीब 78 परसेंट कर्मचारी बर्नआउट की शिकायत करते हैं. ये वो कंडिसन है, जब मन और बॉडी दोनों इतनी थकान से भर जाते है कि वो कुछ भी प्रोडक्टिव नहीं कर पाते. ये बर्नआउट इतना खतरनाक है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि काम करने वाले 64 फीसदी लोगों कहते है कि अगर थोड़ी सैलरी कटने पर उनका वर्कलोड कम होता है, तो वे इसके लिए खुशी-खुशी तैयार हैं. 

भारत में ज्यादा लंबा होता है वर्कवीक

इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन की माने तो भारत दुनिया के उन टॉप देशों में शामिल है, जहां वर्क वीक सबसे लोग होता है. भारत के हिसाब से एक कर्मचारी औसतन हफ्ते में करीब 48 घंटे काम करता है, वहीं अमेरिका में करीब 37 घंटे, यूके में 36 घंटे है. यानी लेबर लॉ विक में 48 घंटे काम की परमिशन देता है. लेकिन कॉर्पोरेट की स्थिति बहुत ज्यादा खराब है. दरअसल कोविड में वर्क फ्रॉम होम के दौरान काम के घंटों में बढोतरी हुई थी जो होती चली गई. ये शिकायत कॉर्पोरेट में काम करने वाले हर कर्मचारी की है. इसमें बेंगलूरु, मुंबई और पुणे की कई बड़ी कंपनियों के एम्प्लॉयीज भी शामिल है.


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